शिक्षा क्यू है जरूरी ? जाने शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य

मनुष्य की खासियत है कि वह ज्ञान की तलाश करता है और नए अनुभवों को प्राप्त करने की इच्छा रखता है। इसी ज्ञान के माध्यम से हम अपने अद्यापि प्राप्त ज्ञान को बढ़ाते हैं और समाज का विकास करते हैं। शिक्षा का वास्तविक अर्थ ज्ञान प्राप्ति है। इसमें न केवल एकल व्यक्ति के लिए ज्ञानार्जन का आधार साधन है, बल्कि यह सामाजिक, आर्थिक, और राष्ट्रीय स्तर पर विकास का माध्यम भी है।

शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  1. ज्ञानार्जन: शिक्षा द्वारा हम विभिन्न विषयों में ज्ञान प्राप्त करते हैं, जो हमारे मनोवैज्ञानिक, तकनीकी, वैज्ञानिक, साहित्यिक, और सामाजिक विकास के लिए आवश्यक हैं। यह हमें स्वयं को सुसज्जित करने की क्षमता प्रदान करता है और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।
  2. व्यक्तिगत विकास: शिक्षा हमारे व्यक्तिगत कौशलों, योग्यताओं, और स्वभाव को सुधारने में मदद करती है। यह हमारी सोचने की क्षमता, समस्याओं का समाधान करने की क्षमता, और स्वतंत्रता के साथ नए और आविष्कारी विचारों का विकास करती है।

3.समाज सेवा: शिक्षा हमें सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति जागरूकता प्रदान करती है और सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए कर्मठता व योग्यताओं का विकास करती है। यह हमें एक न्यायसंगत, इंसानी, और समरस समाज के निर्माण में सहयोग करने की प्रेरणा प्रदान करती है।

4.आर्थिक स्वावलंबन: शिक्षा हमें आर्थिक स्वावलंबन के मार्ग पर ले जाती है। शिक्षित व्यक्ति को अधिक रोजगार के अवसर, उच्चतम वेतन, और आर्थिक स्थिरता का लाभ मिलता है। इसके अलावा, शिक्षा हमें उच्चतम स्तर की जीवन गुणवत्ता की प्राप्ति के लिए भी तैयार करती है।

  1. सामान्य संस्कृति के प्रचार: शिक्षा हमें विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों, और सम्प्रदायों की समझ प्रदान करती है और सामान्य संस्कृति को प्रचारित करती है। यह हमारे बीच सद्भाव, तोलमोल, और सांस्कृतिक विविधता को स्वीकार करने में मदद करती है।

शिक्षा के फायदे

शिक्षा समाज में सामाजिक न्याय, समानता, एकता, और शांति को बढ़ावा देती है। शिक्षा समाज में गरीबी, अशिक्षा, अज्ञानता, अन्धविश्वास, और अन्य सामाजिक बुराइयों को दूर करने में मदद करती है। शिक्षा के बिना हमारा जीवन अधूरा लगता है। शिक्षा के बिना हम ज्ञान, समझ और सोचने की क्षमता से वंचित रह जाते हैं।
शिक्षा किसी कमज़ोरी को ताकत में बदलने की कुंजी है। यह हमारे सामने आने वाली समस्याओं को समझने के लिए अलग-अलग उपकरण और तरीके प्रदान करती है और उन्हें हल करने में मदद करती है। 

शिक्षा के महत्व

शिक्षा एक व्यवस्थित प्रक्रिया है जिसके माध्यम से एक बच्चा या वयस्क ज्ञान, अनुभव, कौशल और स्वस्थ दृष्टिकोण प्राप्त करता है। यह एक व्यक्ति को सभ्य, परिष्कृत, सुसंस्कृत और शिक्षित बनाता है। एक सभ्य और समाजीकृत समाज के लिए, शिक्षा ही एकमात्र साधन है। इसका लक्ष्य एक व्यक्ति को परिपूर्ण बनाना है।

FAQ

Q. एजुकेशन का क्या अर्थ होता है?
A. व्यापक अर्थ में शिक्षा किसी समाज में सदैव चलने वाली सोद्देश्य सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का विकास, उसके ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि एवं व्यवहार में परिवर्तन किया जाता है और इस प्रकार उसे सभ्य, सुसंस्कृत एवं योग्य नागरिक बनाया जाता है।

Q. शिक्षा का जनक कौन है?
A. शिक्षा के जनक थे स्वामी सहजानन्द

Q.शिक्षा के पिता कौन है?
A.होरेस मान को शिक्षा का जनक माना जाता है।

Q.शिक्षा कब लागू हुआ?
A.भारत में 14 साल की उम्र तक के सभी बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना संवैधानिक प्रतिबद्धता है। देश के संसद ने वर्ष 2009 में ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम’ पारित किया था जिसके द्वारा 6 से 14 साल के सभी बच्चों के लिए शिक्षा एक मौलिक अधिकार हो गई थी।

Q.शिक्षा के प्रथम शिक्षक कौन है?
A. सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी, 1831 को महाराष्ट्र के नायगांव में माली समुदाय में हुआ था।

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