एलएलबी यानी बैचलर ऑफ लॉ भारत में एक लोकप्रिय ग्रैजुएट डिग्री कोर्स है। यह तीन साल का कोर्स है, जो कानूनी अध्ययन और कानून से संबंधित विषयों पर केंद्रित है।
पाठ्यक्रम में कॉन्ट्रैक्ट लॉ, आपराधिक कानून, नागरिक कानून, संपत्ति कानून, कॉर्पोरेट कानून और संवैधानिक कानून जैसे विषय शामिल हैं।
एल एल बी का उद्देश्य
इस प्रकार के स्नातक पाठ्यक्रम का उद्देश्य छात्र को उसकी स्ट्रीम और कानून अभ्यास के बारे में ज्ञान प्रदान करना है।
12वीं के बाद अधिकांश एलएलबी पाठ्यक्रमों में प्रत्येक विषय में दो या अधिक पेपर होते हैं, जो एक सेमेस्टर से अगले सेमेस्टर तक चलते रहते हैं।
एलएलबी कोर्स की अवधि
आमतौर पर एलएलबी कोर्स की अवधि 3 साल की होती है, लेकिन अगर आप इंटीग्रेटेड कोर्स जैसे कि BA LLB, BBA LLB आदि करते है तो इनकी अवधि 5 साल की होती है।
जो छात्र इंटर(12) करने के बाद कानून की पढ़ाई करना चाहता है उसके लिए यह कोर्स 5 साल का हो जाता है।
एल एल बी करने के फायदे
भारत में वकील और कानूनी पेशेवर अक्सर प्रतिस्पर्धी वेतन कमाते हैं, और जैसे-जैसे उनका अनुभव और विशेषज्ञता बढ़ती है, उनकी कमाई की संभावना भी बढ़ती है।
इसके अलावा, प्रतिष्ठित लॉ फर्मों, बड़े निगमों या सरकारी पदों पर काम करने वाले लॉ ग्रेजुएट और भी अधिक पारिश्रमिक पैकेज की उम्मीद कर सकते हैं।
एलएलबी में प्रवेश
यह कोर्स को कराने के लिए कई कॉलेज और विश्वविद्यालय अपने अपने प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं, जैसे CLAT, AILET आदि।हालाकि कई विश्वविद्यालय और कॉलेज बिना किसी प्रवेश परीक्षा के भी प्रवेश दे देते है।
एलएलबी में विषय
1)कॉन्ट्रैक्ट लॉ:
इसमें आपको व्यापारिक लेन देन के कानूनी पहलू के बारे में बताया जाता है।
2)संविधानिक नियम:
इसमें छात्रों की भारतीय संविधान और उसके महत्वपूर्ण नियमों के बारे में पढ़ाया जाता है।
3)क्रिमिनल लॉ:
इसमें छात्र को किसी भी प्रकार के अपराध करने पर दंड देने और न्यायिक प्रक्रिया के बारे में बताया जाता है।
4)कानूनी सिद्धांत:
इसमें आपको कानून के सिद्धांतों के बारे में बताया जाता है।
5)सिविल लॉ:
इसमें छात्रों को विवाह, संपत्ति आदि के बारे में बताया जाता है।
6)पारिवारिक कानून:
इसमें छात्र को परिवार के विवादों, तलाक,गोद लेने आदि के बारे में बताया जाता है।
एलएलबी के बाद करियर अवसर
1)न्यायधीश:
यह कोर्स को करने के बाद अगर आप न्यायधीश बनना चाहते है तो आपको हाई कोर्ट की परीक्षा पास करनी होगी।
2)कानूनी सलाहकार:
एलएलबी करने के बाद छात्र अलग अलग कम्पनियों में कानूनी सलाहकार की तरह काम कर सकते हैं।
3)सरकारी:
यह कोस करने के बाद छात्र सरकारी संस्थाओं में भी काम कर सकते हैं जैसे कि भारतीय न्यायिक सेवा, सिविल सेवाएं आदि।
4)वकील:
यह कोर्स को करने के बाद छात्र वकील बनकर सिविल, क्रिमिनल, टैक्स आदि जैसे मामलों पर बहस कर सकता है।
एल एल बी का महत्व
यह कोर्स विधि और कानूनी ज्ञान की प्राथमिक और मौलिक जानकारी प्रदान करता है जो छात्रों को एक प्रशासनिक, सामाजिक और न्यायिक क्षेत्र में करियर के लिए तैयार करता है।
यदि आप एक करियर विचार कर रहे हैं जिसमें आपको कानून और न्यायिक मामलों में रुचि है, तो एलएलबी एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
निस्कर्ष
एलएलबी यानी बैचलर ऑफ लॉ, भारत में यह एक लोकप्रिय ग्रैजुएट डिग्री कोर्स है। यह तीन साल का कोर्स है, जो कानूनी अध्ययन और कानून से संबंधित विषयों पर ध्यान केंद्रित करता है।
इसमें छात्रों को कॉन्ट्रैक्ट लॉ, आपराधिक कानून, नागरिक कानून, संपत्ति कानून, कॉर्पोरेट कानून और संवैधानिक कानून जैसे विषयों के बारे में पढ़ाया जाता है।
FAQ
Q. कानून की व्याख्या क्या है?
A. इससे तात्पर्य यह है कि वैधानिक कानून और न्यायिक मिसालों जैसे कानूनी ग्रंथों का विश्लेषण और समझने की प्रक्रिया होती है, ताकि अर्थ मतलब की रुपए निकाला जा सके और जिससे कानूनी प्रणाली के भीतर कानूनी निर्णय लेने में लचीलापन और अनुकूलनशीलता की अनुमति मिलती है और इसके माध्यम से लोगों को उनका इंसाफ भी मिल सके।
Q. LLB कितने प्रकार के होते हैं?
A. एलएलबी डिग्री के विभिन्न प्रकार होते हैं जैसे बीबीए एलएलबी बीसीए एलएलबी, बी. कॉम एलएलबी, बीए एलएलबी, बी. एससी एलएलबी आदि।
Q. क्यों कानून की आवश्यकता है?
A. कानून की आवश्यकता इसलिए है जिसके माध्यम से नागरिकों पर किसी प्रकार की नाइंसाफी न हो पाए और नागरिक किसी के दबाव में आकर कोई काम न करे। किसी सामाजिक व्यवस्था को नियमित करने के लिये कानून की उपस्थिति आवश्यक होती है।अगर हम दूसरे शब्दों में कहे तो कानून ही देश की नींव होती है।
Q. कानून के चार उद्देश्य क्या हैं?
A. कानून के चार उद्देश्य यह हैं-
1) व्यवस्था बनाए रखना
2) मानक स्थापित करना
3) स्वतंत्रता की रक्षा करना
4) विवादों का समाधान करना ।
Q. कानून कौन बनाता है?
A. अगर हम भारत की बात करें तो यह पर संसद का अंतिम अधिकार होता है। संसद द्वारा बनाया गया कानून प्रस्तावों को राष्ट्रपति द्वारा स्वीकार किया जाना चाहिए तभी इस कानून को पास किया जाएगा। और इसी तरह अगर कई राज्य में कोई कानून प्रस्ताव लाना है तो उसको पहले उस राज्य के राज्यपाल की मंजूरी लेनी होगी।